कौन थी पद्म भूषण मशहूर गायिका वाणी जयराम

0
115

मशहूर गायिका वाणी जयराम का 77 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया.

नवआभा टाइम्स:मशहूर गायिका वाणी जयराम का शनिवार को निधन हो गया. 77 साल की उम्र में वाणी जयराम ने दुनिया को अलविदा कह दिया. सिंगर चेन्नई स्थित अपने घर में मृत पायी गयीं. वाणी के निधन की खबर ने फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री में शोक की लहर है. पुलिस के अनुसार घर पर उनकी लाश मिली है और ये भी बताया जा रहा है कि उनके माथे पर चोट के निशान थे. फिलहाल, पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है|
गायिका के घर में घरेलू काम करने वालीं मलारकोड़ी ने कहा कि वह बिल्कुल ठीक थीं। महिला ने कहा, ‘‘वह पद्म भूषण सम्मान के लिए बधाई देने को लेकर आने वाले मेहमानों और शुभचिंतकों की अगवानी में व्यस्त थीं। काफी फोन आ रहे थे और उन्होंने सभी कॉल का जवाब दिया और उन सभी को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनको बधाई दी। वह अकेली रहती थीं। वह 77 वर्ष की थीं और शहर के एक अपार्टमेंट में अकेली रहती थीं। जयराम के पति की पहले ही मौत हो गई थी और उनकी कोई संतान नहीं है। गायिका की घरेलू सहायिका हमेशा की तरह शनिवार को काम पर आई। हालांकि, बार-बार कॉलबेल दबाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। उसने तुरंत गायिका के रिश्तेदारों को सूचित किया, जिन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने वाणी जयराम के रिश्तेदारों की मौजूदगी में घर का दरवाजा तोड़ा और उन्हें मृत पाया।

वाणी जयराम का जीवन परिचय

वाणी जयराम साउथ की फेमस प्लेबैक सिंगर्स में से एक थीं. उनका जन्म 1945 में तमिलनाडु के वैल्लोर में हुआ था. वाणी का असली नाम कलैवानी था. वाणी छह बेटियों और तीन बेटों के परिवार में पांचवीं बेटी थीं. उनके माता-पिता दुरईसामी अयंगर और पद्मावती का भी संगीत से काफी लगाव था. उन्‍होंने रंगा रामुनाजा अयंगर से क्‍लासिकल म्‍यूजिक की ट्रेनिंग ली थी. वाणी को भी बचपन से ही शास्‍त्रीय संगीत का प्रश‍िक्षण मिला. हाल में पद्म पुरस्कार की सूची जारी हुई थी. वाणी ने हाल ही में इंडस्ट्री में बतौर सिंगर अपने 50 साल पूरे किए थे.वाणी को बचपन से ही रेडियो सुनने का बड़ा शौक था और यहीं से उनका हिंदी गानों की ओर झुकाव बढ़ा. वाणी जब 8 साल की थीं, तब उन्‍होंने पहली बार ऑल इंडिया रेडियो, मद्रास में अपनी परफॉर्मेंस दी थी. मद्रास यूनिवर्सिटी के क्वीन मैरी कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद वाणी जयराम ने कई साल तक भारतीय स्टेट बैंक के लिए भी चेन्‍नई और फिर हैदराबाद में काम किया.वाणी जयराम ने अपने सिंगिंग करियर में कई खूबसूरत गानों को अपनी आवाज दी है. म्यूजिक वर्ल्ड में उनका योगदान हमेशा सराहा जाएगा. वाणी ने अपने करियर में कुल 19 भाषाओं में गाने गाए हैं, जिनमें तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, हिंदी, उर्दू, मराठी, बंगाली, भोजपुरी, तुलू ,उड़िया, मलयालम, उड़िया और राजस्थानी जैसी भाषाएं शामिल हैं. वह इस साल मार्च में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित होने वाली थीं. साल 1971 में आई बॉलीवुड फिल्म ‘गुड्डी’ में उन्होंने ‘बोले रे पपीहा रे’ गाया था. उनकी आवाज में गाया ये गाना एवरग्रीन सॉन्ग बना. इस फिल्म से जया बच्चन ने डेब्यू किया था और ये गाना उन्ही पर फिल्माया गया था. वाणी जयराम ने 1 हजार से ज्यादा भारतीय फिल्मों के प्लैबैक गाने गाए. उन्होंने हर इंडस्ट्री के बड़े और दिग्गज म्यूजिशियंस के साथ काम किया और एक से बढ़कर एक हिट सॉन्ग दिए. उन्होंने देश और दुनिया में अपनी शानदार आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध किया और कई स्टेज शो पर परफॉर्म भी किया.

तीन नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित

वाणी ने 1971 में संगीत की दुनिया में कदम रखा था और 1990 तक वे संगीतकारों की पसंदीदा गायिका रहीं. तीन बार सर्वश्रेष्ठ महिला प्लेबैक सिंगर के तौर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. उन्हें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात और ओडिशा से राज्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे. वाणी को अपनी शानदार आवाज के लिए भारत सरकार द्वारा 3 नेशनल अवॉर्ड मिले. इसके अलावा उनको तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला है. सिंगर को हाल ही में भारत सरकार द्वारा संगीत जगत में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी. कुछ समय पहले ही वाणी ने अपने करियर के 50 साल पूरे किए थे. वाणी जयराम ने एमएस इलैयाराजा, आरडी बर्मन, केवी महादेवन, ओ.पी नैय्यर और मदन मोहन जैसे दिग्गज कंपोजर के साथ काम कर चुकी हैं, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म स्वपनम से की थी.

‘हमको मन की शक्‍त‍ि देना’

वसंत देसाई के साथ वाणी का गाना इस कदर हिट हुआ कि बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्‍टर हृषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्‍म ‘गुड्डी’ (1971) में उन्‍हें तीन गाने दिए. वाणी जयराम ने इस फिल्‍म के लिए ‘बोले रे पापिहारा’, ‘हरि बिन कैसे जीयूं’ और ‘हमको मन की शक्‍त‍ि देना’ गाया. ये तीनों ही गाने सुपरहिट रहे और वाणी का नाम हिंदी सिनेमा की दुनिया में चल पड़ा. उनका गाना ‘हमको मन की शक्ति देना’ तो इस कदर पॉपुलर हुआ कि यह देश के हर दूसरे स्कूल में सुबह की प्रार्थना में गाया जाने लगा. हिंदी सिनेमा के लिए वाणी ने अपने करियर में 100 फिल्‍मों के लिए 339 गाने गाए हैं. उन्‍होंने ‘पाकीजा’ (1972) के लिए ‘मोरे साजन सौतन घर’ गाया. इसी तरह ‘आइना’ फिल्‍म में आशा भोसले के साथ ‘दुल्हन बड़ी जादूगरनी’ गाया. वाणी के सबसे पॉपुलर हिंदी गानों में मदन मोहन का कम्‍पोजिशन ‘प्‍यार कभी कम नहीं करना’ भी शामिल है, यह गाना उन्‍होंने किशोर कुमार के साथ गाया. इसके साथ ही ‘मेरे तो गिरधर गोपाल’ भजन भी खूब पॉपुलर हुआ, वाणी ने आरडी बर्मन, श्यामजी घनश्यामजी, कल्याणजी आनंदजी, मन्‍ना डे, जयदेव और लक्ष्‍मीकांत प्‍यारेलाल जैसे दिग्‍गजों के लिए गाने गाए हैं, उन्‍होंने ‘पाकीजा’ (1972) के लिए ‘मोरे साजन सौतन घर’ गाया. इसी तरह ‘आइना’ फिल्‍म में आशा भोसले के साथ ‘दुल्हन बड़ी जादूगरनी’ गाया. वाणी के सबसे पॉपुलर हिंदी गानों में मदन मोहन का कम्‍पोजिशन ‘प्‍यार कभी कम नहीं करना’ भी शामिल है, यह गाना उन्‍होंने किशोर कुमार के साथ गाया. इसके साथ ही ‘मेरे तो गिरधर गोपाल’ भजन भी खूब पॉपुलर हुआ, वाणी ने आरडी बर्मन, श्यामजी घनश्यामजी, कल्याणजी आनंदजी, मन्‍ना डे, जयदेव और लक्ष्‍मीकांत प्‍यारेलाल जैसे दिग्‍गजों के लिए गाने गाए हैं,

वाणी जयराम के करियर में पति का भी बहुत योगदान रहा

वाणी की शादी ऐसे परिवार में हुई थी, जहां म्यूजिक को बढ़ावा दिया जाता था. उनकी सास भी सिंगर थीं. उनकी भाभी एन. राजम वॉयलिन बजाती हैं और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं. 1969 में जयराम से शादी करने के बाद वाणी मुंबई शिफ्ट हो गई थीं. करियर के शुरुआती दौर में वो बैंक में नौकरी करती थीं, लेकिन उनके पति ने उन्हें म्यूजिक की दुनिया में आगे बढ़ाया और इस मुकाम तक पहुंचने में उनका साथ दिया.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here