केंद्र का बड़ा फैसलाः सेना के ड्रोन्स में चाइनीज पार्ट्स के इस्तेमाल पर रोक

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0 फिलहाल अमेरिका से एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदे जाएंगे
नई दिल्ली। सेना के इस्तेमाल के लिए भारत में बनने वाले ड्रोन्स में अब चीन में बने पार्ट्स इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे। केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। सिक्योरिटी के लिहाज से यह फैसला कुछ महीनों पहले किया गया, हालांकि जानकारी 8 अगस्त को जारी एक रिपोर्ट से सामने आई।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने यह फैसला दोनों देशों के बीच बने तनाव के माहौल को देखते हुए किया है। सरकार भारतीय सेना को आधुनिक बनाने का काम कर रही है, इसमें मानव रहित क्वाडकॉप्टर, ऑटोनॉमस ड्रोन के साथ ही लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाले ड्रोन शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में बने पार्ट्स इनकी जानकारी पड़ोसी देश को दे सकते हैं। इसलिए इन्हें बैन कर दिया गया है।

एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीई) के डायरेक्टर वाई दिलीप के मुताबिक, एडीई मानवरहित स्टेल्थ ड्रोन और अधिक ऊंचाई तक उड़ने वाले ड्रोन पर काम कर रही है। हालांकि इसमें अभी काफी वक्त लगेगा। तब तक ड्रोन की कमी पूरी करने के लिए भारत अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदेगा।

चाइनीज पार्ट्स खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं
रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सुरक्षा से जुड़े अधिकारी चाइनीज पार्ट्स के इस्तेमाल से चिंतित थे। उनका मानना है कि ड्रोन के कम्युनिकेशन फंक्शन, कैमरे, रेडियो ट्रांसमिशन और ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर में चीन में बने पार्ट्स लगे हैं। इनसे खुफिया जानकारी पड़ोसी देश को भेजी जा सकती है। भारत ने मिलिट्री को आधुनिक बनाने के लिए 2023-24 में लगभग 16 लाख करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें से 75% हिस्सा देश में ही मिलिट्री से जुड़े सामान बनाने के लिए रिजर्व है।

भारत के पास ड्रोन के पार्ट्स और सिस्टम की कमी
सेना को छोटे ड्रोन सप्लाई करने वाले बेंगलुरु के न्यू स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी के फाउंडर समीर जोशी ने बताया कि हमारे देश में बनने वाले ड्रोन में जो पार्ट्स इस्तेमाल किए जाते हैं, उनमें से 70% पार्ट्स चीन में बने होते थे। भारत के पास सेना के लिए स्पेशल ड्रोन बनाने वाली तकनीक और नॉलेज की अभी कमी है। यही वजह है कि हम इसके लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर हैं।

बैन से लोकल ड्रोन मेकर्स पर बढ़ा लागत का दबाव
इस फैसले से ड्रोन बनाने वाली भारतीय फर्मों की परेशानी बढ़ गई है। इस इंडस्ट्री को जानने वाले एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि बैन से लोकल लेवल पर मिलिट्री ड्रोन बनाने की लागत बढ़ गई है।

एमक्यू-9बी ड्रोन की खासियत
एमक्यू-9बी ड्रोन मानव रहित और रिमोट कंट्रोल से उड़ने वाला ड्रोन है। यह 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह 11 हजार किलोमीटर दूर से हमला करने में भी सक्षम है। यह ड्रोन 40 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसमें 2 लेजर गाइडेड एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगी होती हैं, जो हवा से जमीन पर सटीक हमला करने के लिए जानी जाती हैं।

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