रायपुर। कोरोना के नाम पर 2021 में होने वाली जनगणना को केंद्र सरकार ने रोक लिया है। अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जनगणना कराने की मांग की है। उनका कहना है कि पिछले 150 सालों से प्रत्येक 10 साल पर यह जनगणना होती रही है। इससे देश में सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव संबंधी आंकड़ों की जानकारी होती है। 2021 में होने वाली जनगणना नहीं हुई है, ऐसे में संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करें कि वे जनगणना का कार्यक्रम जारी करें।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पत्र में लिखा है, वर्ष 2011 की जनगणना में पहली बार सामाजिक, आर्थिक और जातिगत सर्वेक्षण भी किया गया था। इसी के आधार पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के पात्रों का चयन किया गया। यह सर्वेक्षण केवल 10 सालों के लिए प्रभावी था। पिछले 12 वर्षों में विकास योजना के क्रियान्वयन और सामाजिक-आर्थिक बदलावों को देखते हुए वह आंकड़ा अब प्रासंगिक भी नहीं रह गया है।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि उचित होगा कि जनगणना के साथ ही वंचित एवं पात्र हितग्राहियों की पहचान के लिए नया सर्वेक्षण अतिशीघ्र शुरू किया जाए। उस सर्वेक्षण में यह जरूर देखा जाए कि पिछले 10 सालों में वंचित वर्ग को सरकारी योजनाओं का कितना फायदा पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया है कि प्रधानमंत्री जनगणना के महत्व और गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही तिथियों के निर्धारण के लिए निर्देशित करें।
पांच बार टाली गई जनगणना की तारीख
सामान्य तौर पर जनगणना प्रत्येक 10 साल पर होती रही है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। उसके बाद यह 2021 में प्रस्तावित थी। कोरोना की वजह से यह टलती गई। पिछले साल जनगणना निदेशक ने राज्यों को जारी पत्र में लिखा, कोरोना महामारी के कारण मौजूदा परिस्थितियों में इसके फैलने का खतरा है। देश में कोरोना टीकाकरण अभियान को तेज करने में राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की व्यस्तता और भागीदारी के चलते इस वर्ष जनगणना का कार्य प्रारंभ करना संभव नहीं होगा। जनवरी में भी एक पत्र जारी कर ऐसा ही कहा गया।
अब जनगणना सितम्बर 2023 के बाद ही संभव
जनगणना नियम के मुताबिक प्रदेश की सर्वेक्षण शुरू होने से पहले प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को जनगणना आयुक्त फ्रीज करता है। यह तिथि जनगणना से एक वर्ष पहले की नहीं होनी चाहिए। सामान्य तौर पर सीमा फ्रीज करने के तीन महीने बाद सर्वे शुरू हो सकता है। जनगणना निदेशक ने अपने आखिरी पत्र में इस सीमा का 30 जून 2023 तक के लिए बढ़ा दिया है। यानी आगामी जनगणना के लिए प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं अब 30 जून को फ्रीज की जाएंगी। उससे तीन महीने यानी सितम्बर 2023 तक जनगणना का काम शुरू नहीं हो पाएगा।
राज्य सरकार को इसका राजनीतिक फायदा भी हुआ है
जनगणना में जिला, तहसील, गांव, थानों की सीमाओं का बहुत महत्व है। पूरे आंकड़े इन्हीं को इकाई मानकर जुटाए जाते हैं। इसीलिए सर्वेक्षण शुरू होने से पहले प्रशासनिक सीमाओं को जनगणना आयुक्त फ्रीज कर देते हैं। इसका मतलब है कि जनगणना का काम पूरा होने तक इनकी सीमाओं में कोई परिवर्तन नही किया जा सकेगा। कांग्रेस सरकार ने जनगणना वाले वर्षों में ही नये जिलों और तहसीलों की घोषणा की। अगर यह तिथियां बढ़ी न होतीं तो चार नये जिलों और 30 नई तहसीलों का गठन रुक गया होता। इसका नुकसान कांग्रेस को सीधे तौर पर होता।