नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इतिहास के पुनर्लेखन की सरकार की कोई योजना नहीं है सिर्फ इतिहास को व्यापाक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
श्री प्रधान ने लोकसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि लिखित उत्तर में भी कहा गया है कि इतिहास के इतिहास के पुनर्लेखन का कोई मकसद नहीं है।
कांग्रेस के मनीष तिवारी के इतिहास के पुनर्लेखन पर टिप्पणी करते हुए सवाल पूछा कि सरकार इससे इनकार कर रही है लेकिन भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने दावा किया है कि वह इतिहास का पुनर्लेखन कर रहे हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश बारह सौै साल तक अलग अलग कालखंड में पराधीनता से गुजरा है। इस दौरान अनेक साम्राज्य रहे जिन्होंने देश की सभ्यता, संस्कृति को उजागर करने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि कई सारे ऐसे लोग थे जो इतिहास में छूट गये थे उन्हें इतिहास में शामिल किया जाना चाहिए।