नवआभा टाइम्स:हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है. संकष्टी चतुर्थी में विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है.साथ ही गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आता है, फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर गणपति के छठे स्वरूप यानि जप्रिय गणेश की पूजा की जाती है.
संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और उपाय
संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त 09 फरवरी 2023, बृहस्पतिवार प्रात:काल 06:23 बजे बजे से शुरू होकर 10 फरवरी 2023, शुक्रवार प्रात:काल 07:58 बजे तक रहेगा| इस दिन चंद्रोदय का समय का रात्रि 09:18 बजे होगा| पूजा की दिन सूर्योदय से पहले उठकर और तन-मन से पवित्र होकर पूजा प्रारंभ करें| पूजा करने के लिए घर की उत्तर दिशा में पहले एक चौकी स्थापित करें फिर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं.गणपति को चौकी पर बिठाने के बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं और दूर्वा, फूल, रोली, चंदन, अक्षत, पान, सुपाड़ी आदि अर्पित करें.भगवान गणेश की पूजा में उनका प्रिय मोदक या फिर मोतीचूर का लड्डू जरूर चढ़ाएं| भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा का इस्तेमाल करना बहुत शुभ माना जाता है. बगैर दूर्वा के गणपति की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर गणपति की कृपा बरसती है और साधक के सभी कष्ट दूरो होते हैं.यदि आपके पास भगवान गणेश की न तो मूर्ति न हो और न ही उनकी तस्वीर तो ऐसे में पूजा वाली सुपाड़ी पर रोली बांध करके आप उसे गणपति के रूप में पूज सकते हैं। मान्यता है कि सुपाड़ी के बने गणपति की पूजा करने पर मूर्ति की पूजा करने के समान ही फल मिलता है.भगवान गणेश को जल्दी प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में अक्षत का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले अक्षत टूटे न हों. मान्यता है कि बिना अक्षत गणपति पूजा अधूरी मानी जाती है.पूजा के अंतिम पड़ाव पर श्री गणेश जी आरती करे|