कोलकाता। कोलकाता यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ दिखाई। यूनिवर्सिटी के अंदर डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की परमिशन नहीं थी, इसलिए इसे बाहर सड़क पर दिखाया गया। कैंपस के अंदर बिजली नहीं मिलने पर एसएफआई ने मुख्य सड़क पर मंच बनाया। इसके बाद लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री दिखाई।
कोलकाता के प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में दो बार दिखाई जा चुकी डॉक्यूमेंट्री
इससे पहले एसएफआई ने प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में एक सप्ताह में 2 बार डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी। पहली बार 27 और दूसरी बार 31 जनवरी को स्क्रीनिंग की गई। बीबीसी की दो-पार्ट वाली डॉक्यूमेंट्री की जब पहली स्क्रीनिंग की गई थी तो अचानक बिजली काट दी गई थी। एसएफआई ने दावा किया था कि बिजली कटौती यूनिवर्सिटी के अधिकारियों द्वारा डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को रोकने के लिए की गई थी।
याचिकाकर्ता का दावा- डॉक्यूमेंट्री दंगों की जांच में मददगार
याचिका में दावा किया गया है कि ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक डॉक्यूमेंट्री में 2002 के गुजरात दंगों और उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की गई है। जब दंगे भड़के थे, तब पीएम मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री थे। याचिका में यह भी कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री में दंगे रोकने में नाकामयाब रहे जिम्मेदारों से जुड़े कई फैक्ट्स हैं। हालांकि, सच्चाई सामने आने के डर से इसे आईटी रूल 2021 के नियम 16 के तहत बैन किया गया है। रिकॉर्ड किए गए फैक्ट्स भी सबूत हैं और इन्हें पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे न्याय नहीं मिला है।
दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों पर भी कार्रवाई की मांग की गई
याचिका में गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की भी मांग की गई है। एमएल शर्मा ने कहा है कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के दोनों एपिसोड और बीबीसी के रिकॉर्ड किए गए सभी ओरिजनल फैक्ट्स की जांच करें। साथ ही गुजरात दंगों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह से जिम्मेदार या शामिल आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 146, 302, 376, 425 और 120-बी और के तहत उचित कार्रवाई करें।
ये लोग सुप्रीम कोर्ट का समय बर्बाद करते हैंः कानून मंत्री
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को लेकर सोमवार को ट्वीट किया। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि देश में जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए इंतजार और तारीखों की मांग कर रहे हैं। ऐसे समय में कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करते हैं।
बीबीसी ने चीनी कंपनी हुवावे से पैसा लेकर बनाई डॉक्यूमेंट्री: महेश जेठमलानी
भाजपा से राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने बीबीसी पर चीनी कंपनी से पैसा लेकर भारत विरोधी डॉक्यूमेंट्री बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीबीसी को चीनी कंपनी हुवावे ने मोदी की छवि खराब करने के लिए पैसा दिया है। अब बीबीसी चीनी एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहा है। महेश जेठमलानी दिवंगत एडवोकेट राम जेठमलानी के बेटे हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि बीबीसी इतना भारत विरोधी क्यों है? बीबीसी का भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने का एक लंबा इतिहास रहा है। 2021 में बिना जम्मू-कश्मीर के भारत का नक्शा बीबीसी ने जारी किया था। बाद में उसने भारत सरकार से माफी मांगी थी और नक्शे को सही किया था।
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते में मांगा जवाब
इधर, डॉक्यूमेंट्री पर लगे बैन को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है और ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स जमा करने के आदेश दिए हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। दरअसल, डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाए जाने के खिलाफ महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने का सरकार का फैसला मनमाना और असंवैधानिक है।