0 7 दिन पहले 6 दोषियों को मिल चुकी है जमानत
0 बाकी आरोपियों की याचिका पर 9 दिसंबर को होगी सुनवाई
रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में एनसीपी नेता राम अवतार जग्गी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने याह्या ढेबर की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है। हालांकि अभय गोयल और फिरोज सिद्दीकी को जमानत देकर बड़ी राहत दी गई है। वहीं बाकी आरोपियों की याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पक्षों की दलील सुनी गई। सुनवाई के बाद न्यायालय ने फिरोज सिद्दीकी और अभय गोयल की जमानत अर्जी को मंजूरी दे दी। कुछ दिन पहले भी हत्याकांड में दोषी पूर्व पुलिस अधिकारी एएस गिल, वीके पांडे और आरसी त्रिवेदी समेत 6 लोगों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। वहीं 7 महीने पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को लेकर जग्गी हत्याकांड में सभी दोषियों की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद दोषियों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
21 साल पहले गोली मारकर की गई थी हत्या
4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 आरोपी बनाए गए थे। जिसमें से बलटू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को दोषी करार दिया गया था।हालांकि बाद में अमित जोगी को बरी कर दिया गया था। अमित जोगी को बरी किए जाने के खिलाफ रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिस पर अमित के पक्ष में स्टे है।
ये हैं दोषी
जग्गी हत्याकांड में अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत और विश्वनाथ राजभर दोषी हैं।
कौन थे रामावतार जग्गी?
कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। जब शुक्ल कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में एनसीपी का कोषाध्यक्ष बना दिया था।