दिल्ली शराब नीति केस में मनीष सिसोदिया को बेल, 17 महीने बाद जेल से बाहर आए

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0 सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जमानत नियम और जेल अपवाद
नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शुक्रवार (9 अगस्त) को 17 महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं। आज दोपहर सुप्रीम कोर्ट ने​​​​ उन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े सीबीआई और ईडी दोनों केस में जमानत दी।

जेल से बाहर आने के बाद सिसोदिया ने आप कार्यकर्ताओं और समर्थकों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि संविधान की वजह से जमानत मिली। यहां से वे सीधे अरविंद केजरीवाल के घर जाएंगे। उनकी पत्नी सुनिता केजरीवाल और परिवार के लोगों से मिलेंगे। कल वे महात्मा गांधी को श्रृद्धांजलि देने के लिए राजघाट जा सकते हैं।

सिसोदिया को सीबीआई ने भ्रष्टाचार केस में 26 फरवरी 2023 को और ईडी ने 9 मार्च 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। तब से वे जेल में थे। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केस खत्म होने की संभावना नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केस में अब तक 400 से ज्यादा गवाह और हजारों दस्तावेज पेश किए जा चुके हैं। आने वाले दिनों में केस खत्म होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। ऐसे में सिसोदिया को हिरासत में रखना उनके स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुनाया है। बेंच ने तीन दिन पहले 6 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया था। सिसोदिया ने जमानत पर दोबारा विचार करने की याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाने से पहले जमानत को लेकर अब तक की गई कार्यवाही के बारे में बताया। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया को वापस ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट भेजना सांप-सीढ़ी के खेल में डालने जैसा होगा। एक नागरिक को इधर-उधर भटकने के लिए नहीं मजबूर किया जा सकता है। बेंच ने कहा कि मामले की तुरंत सुनवाई लोगों का अधिकार है। यह कहकर जमानत का विरोध नहीं किया जा सकता कि अपराध गंभीर है। स्वतंत्रता के लिहाज से हर दिन मायने रखता है। सीबीआई मामले में 13 और ईडी मामले में 14 अर्जियां दाखिल की गई थीं। ये सभी अर्जियां निचली अदालत ने मंजूर की थी।
निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था की मनीष की अर्जियों की वजह से ट्रायल शुरू होने में देरी हुई, वो सही नहीं है। हम नहीं मानते कि अर्जियों की वजह से ट्रायल में देरी हुई। इस मामले में ईडी ने भी 8 चार्जशीट दाखिल किए। ऐसे में जब जुलाई में जांच पूरी हो चुकी है तो ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ। हाईकोर्ट और निचली अदालत ने इन तथ्यों को अनदेखा किया।

सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी की अपील नहीं मानी
ईडी-सीबीआई का पक्ष रख रहे ए़डिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (एएसजी) ने कोर्ट में सिसोदिया पर जमानत के दौरान कुछ पाबंदी लगाने की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सिसोदिया पर अरविंद केजरीवाल केस की तरह शर्तें लगाई जाएं। एएसजी ने सिसोदिया को मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय में एंट्री पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे रिजेक्ट कर दिया। बेंच ने कहा कि स्वतंत्रता का मामला हर दिन मायने रखता है, इसलिए हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे सिसोदिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 मई, 2024 को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया था। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सिसोदिया ने अपनी याचिका में कहा था कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमे में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है। दिल्ली हाईकोर्ट से पहले राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को उन्हें जमानत नहीं दी थी। ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की जमानत याचिका इससे पहले भी कई बार खारिज हो चुकी थीं।

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