नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा के चल रहे चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से आदर्श आचार संहिता की ‘अनदेखी’ कर तृणमूल कांग्रेस को निशाना बनाने वाले ‘अपमानजनक विज्ञापन’ पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के रोक लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की सत्ताधारी पार्टी की याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
उच्च न्यायालय ने भाजपा को निर्देश दिया था कि वह तृणमूल कांग्रेस को निशाना बनाने वाले किसी भी तरह के अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित नहीं करे। भाजपा ने उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने भाजपा की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए उसकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया से कहा कि मामले को लटकाने से बचें, क्योंकि विज्ञापन मतदाताओं के हित में नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि प्रतिद्वंद्वी पार्टी (टीएमसी) आपकी दुश्मन नहीं है। पीठ ने कहा कि हमने विज्ञापन देखे हैं। प्रथम दृष्टया वो विज्ञापन अपमानजनक हैं। हम और कटुता को बढ़ावा नहीं देना चाहते।”
शीर्ष अदालत के इस रुख के बाद श्री पटवालिया (भाजपा) ने याचिका वापस लेने का फैसला किया और कहा कि वह अंतरिम आदेश पारित करने वाली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष जवाब दाखिल करना पसंद करेंगे।
न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने 20 मई को भाजपा को अगले आदेश तक उस विज्ञापन को प्रकाशित करने से रोक दिया था, क्योंकि माना गया था कि वो विज्ञापन आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं।
उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी को निशाना बनाने वाले भाजपा के विज्ञापनों के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस द्वारा दायर शिकायतों का समाधान करने में “पूरी तरह विफल” होने पर चुनाव आयोग की खिंचाई की थी।
तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को ऐसे विज्ञापन प्रकाशित करने से रोकने के लिए उच्च न्यायालय में एक दायर याचिका की थी। याचिका में ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कुछ समाचार पत्रों में भाजपा द्वारा प्रकाशित कुछ विज्ञापनों पर आपत्ति जताई गई थी।
भाजपा ने एकल पीठ के इस आदेश को उच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ में चुनौती दी, जिसने 22 मई को भाजपा की अपील पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भाजपा को कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसे (भाजपा) लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करना चाहिए।उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने यह भी कहा था कि यह जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल स्वस्थ चुनावी प्रथाओं का पालन करें, क्योंकि भ्रामक चुनावी अभियानों का अंतिम शिकार मतदाता ही होता है।
न्यायालय ने राजनीतिक दलों को “लक्ष्मण रेखा” का पालन करने की मर्यादा याद दिलाते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई व्यक्तिगत हमला नहीं किया जाना चाहिए।