नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गयी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को गौर करने से इन्कार कर दिया।
मामले की सुनवाई कर रही अवकाशकालीन पीठ के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा द्वारा याचिका को सुनवाई के लिये स्वीकार करने योग्य न माने जाने के बाद याचिकाकर्ता ने इसे वापस ले लिया। पीठ ने याचिका को वापस लिया हुआ मानते हुये उसे खारिज कर दिया।
इस मामले में सोरेन की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की। पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि याचिकाकर्ता ने यह तथ्य यहां नहीं रखे कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर शिकायत का संज्ञान धन शोधन संबंधी मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने ले रखा है।
प्रवर्तन निदेशालय ने फर्जीवाड़े के माध्यम से झारखंड में खरीदी गयी जमीन के एक मामले में सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि जमीन के इस फर्जी सौदे का मूल रूप से मुख्य लाभ सोरेन को मिला। गिरफ्तारी से तत्काल पूर्व श्री सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।