पहली बार सीएए से 14 शरणार्थी को भारतीय नागरिकता मिली

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0 गृह मंत्रालय ने सर्टिफिकेट जारी किया
0 11 मार्च को लागू हुआ था कानून
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत पहली बार 14 लोगों को भारत की नागरिकता दी गई है। गृह मंत्रालय ने बुधवार (15 मई) को ये जानकारी दी। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 14 लोगों को सीएए के सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए हैं।

केंद्र सरकार ने 11 मार्च 2024 को सीएए देशभर में लागू किया था। सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है।

दरअसल, 10 दिसंबर 2019 को सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल (सीएबी) लोकसभा से और अगले दिन राज्यसभा से पारित हुआ था। 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मंजूरी मिलने के बाद सीएए कानून बन गया था।

नागरिकता संशोधन कानून की 3 बड़ी बातें
1. किसे मिलेगी नागरिकता: 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।

2. भारतीय नागरिकों पर क्या असर: भारतीय नागरिकों से सीएए का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।

3. आवेदन कैसे कर सकेंगे: आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है।

1955 के कानून में बदलाव किया गया
2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (सीएए) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी। सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल (सीएबी) को गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया था। 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में इसके पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।

किन राज्यों में विदेशियों को नागरिकता दी जा रही है?
नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत 9 राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेट और गृह सचिवों को नागरिकता देने के अधिकार दिए गए हैं। ये राज्य हैं- गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र। दिल्ली का शाहीन बाग इलाका सीएए के विरोध से जुड़े आंदोलन का केंद्र था। यहां प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

चार राज्यों में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित हो चुका है
सीएए बिल के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद 4 राज्य इसके विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने-बाने के खिलाफ है। इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा। इसके बाद पंजाब और राजस्थान सरकार ने विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। चौथा राज्य पश्चिम बंगाल था, जहां इस बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा था- बंगाल में हम सीएए, एनपीआर और एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे।

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