पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता भाजपा में शामिल

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0 कहा- झारखंड को झुकाना नहीं, बचाना है, सभी 14 सीटों पर कमल खिलेगा
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और विधायक सीता सोरेन ने मंगलवार को भाजपा का दामन थाम लिया। दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में विनोद तावड़े ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर सीता सोरेन ने कहा कि झारखंड के महान सोरेन परिवार को छोड़कर मोदी जी के विशाल परिवार में शामिल हो रही हूं।

मोदी जी पर लोगों के विश्वास को देखते हुए इस परिवार में शामिल हो रही हूं। मैंने भी झारखंड में कई संघर्ष किया। 14 साल जेएमएम में रही। मेरे ससुर और दिवंगत पति की अगुआई में झारखंड अलग राज्य बना। उनका सपना राज्य के विकास का था, लेकिन ये अधूरा रह गया। आज झारखंड की जनता बदलाव चाहती है। झारखंड को झुकाना नहीं बचाना है, इसलिए मैं भाजपा में शामिल हुई। मुझे उम्मीद है कि मेरे पति का सपना पूरा होगा। आने वाले दिनों में सभी 14 सीटों पर कमल खिलेगा।

आज सुबह ही सीता सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया। सीता सोरेन हेमंत के जेल जाने के 48 दिन बाद चंपई सोरेन को सीएम बनाए जाने से नाराज चल रही थीं। सीता सोरेन JMM सुप्रीम शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं।

दुर्गा सोरेन जी का संघर्ष हेमंत खत्म करना चाहते हैंः निशिकांत
सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने उन्हें बधाई दी है। सोशल मीडिया एक्स पर बीजेपी सांसद ने लिखा- सीता सोरेन जी मेरे परम मित्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी की धर्म पत्नी हैं। उन्होंने उचित समय पर उचित निर्णय लिया। हेमंत सोरेन जी ने भ्रष्टाचारी सरकार दी, कल्पना सोरेन जी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। दुर्गा सोरेन जी का संघर्ष हेमंत खत्म करना चाहते हैं। अगला नंबर आंदोलनकारी चंपई सोरेन जी का है। सीता भाभी को बीजेपी में आने की बधाई।

परिवार की उपेक्षा का आरोप
सीता सोरेन ने अपने इस्तीफे में लिखा है। मैं सीता सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा की केन्द्रीय महासचिव एवं सक्रिय सदस्य वर्तमान विधायक हूं, आपके समक्ष अत्यन्त दुःखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा पेश कर रहीं हूं। मेरे स्वर्गीय पति, दुर्गा सोरेन, जो कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे, के निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहें है। पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमे अलग-थलग किया गया है, जो कि मेरे लिए अत्यन्त पीड़ादायक रहा है। मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेंगी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ झारखंड मुक्ति मोर्चा जिसे मेरे स्वर्गीय पति ने अपने त्याग समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था आज वह पार्टी नहीं रहीं मुझे यह देख कर गहरा दुःख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते।

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