धार्मिक व आध्यात्यमिक पर्यटन केंद्र के तौर पर स्थापित करने की तैयारी में सरकार

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0 सॉफ्ट कूटनीति का भी हिस्सा होगा अयोध्या राम मंदिर
नई दिल्ली। भारत उन देशों में है जो सॉफ्ट डिप्लोमेसी को अपनी विदेश नीति का एक अहम हिस्सा बना कर चलता है। भारतीय संस्कृति जिसमें खास तौर पर नृत्य-संगीत, बॉलीवुड, अध्यात्म व योग कुछ ऐसे विषय हैं जिसे बखूबी सॉफ्ट डिप्लोमेसी के तौर पर अपनाया गया है। अब इसमें अयोध्या का राम मंदिर भी जुड़ेगा।

राम मंदिर का होगा पूरी दुनिया में प्रसार
जिस तरह से योग को पूरी दुनिया में प्रसार करने में आज भारतीय विदेश मंत्रालय के तमाम दूतावास व मिशन अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं वैसा ही कुछ अयोध्या राम मंदिर के साथ भी होगा। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों की तरफ से अयोध्या को भारत के एक प्रमुख आध्यात्मिक व धार्मिक पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने में खास कोशिश होगी।

अयोध्या राम मंदिर पर है विदेश मंत्रालय की नजर
अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार के दूसरे मंत्रालयों के सहयोग से एक विस्तृत योजना भी प्रस्तावित है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय हवाई मार्ग से जोड़ने व दूसरी ढ़ाचागत सेवाओं को विश्वस्तरीय बनाने और दूसरी सेवाओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था होगी। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मंत्रालय की नजर अयोध्या राम मंदिर को लेकर वैश्विक स्तर पर जिस तरह की उत्सुकता जताई जा रही है, उस पर है।

प्रवासी भारतीयों करना चाहते हैं अयोध्या की यात्रा
यह माना जा रहा है कि अयोध्या का राम मंदिर विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों को उनकी जन्म भूमि से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभा सकता है। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, आस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय ही नहीं बल्कि सदियों से सूरीनाम, मारीशस जैसे देशों में रह रहे भारतवंशी भी नवनिर्मित राम मंदिर को लेकर ना सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि वहां आने की मंशा जता रहे हैं। इन देशों में स्थित भारतीय दूतावासों आदि से लगातार सूचना मांगी जा रही है।

कई देशों में चल रहा विशेष आयोजन
मारीशस की सरकार ने वहां की हिंदू आबादी के लिए सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आनंद उठाने के लिए दो घंटे की छुट्टी कर दी है। अमेरिका, न्यूजीलैंड जैसे दर्जनों देशों मे विशेष आयोजन की तैयारी चल रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पिछले दिनों बताया था कि किन विदेशी मेहमानों को आमंत्रित करना है, यह फैसला आयोजन करने वाली समिति कर रही है।

55 देशों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों का किया गया है आमंत्रित
कूटनीतिक सर्किल के जानकार बताते हैं कि इसको लेकर नई दिल्ली के विदेशी दूतावासों के साथ ही विदेशी मीडिया में जिस तरह की उत्सुकता है वह इस बात का संकेत है कि अयोध्या को लेकर विदेशी मानस पिछले तीन दशकों में बदल चुका है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी आयोजनकर्ताओं ने 55 देशों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है।

मंदिर निर्माण के बाद दर्शन करने जाएंगे राजनयिक
पिछले वर्ष अयोध्या में दीपोत्सव में 77 देशों के राजनयिकों ने हिस्सा लिया था।आयोजन समिति की तरफ से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में विदेशी राजनयिकों व दूतावासों की तरफ से इस समारोह में शामिल होने की इच्छा प्रकट की गई थी लेकिन आयोजन में प्रोटोकोल से संबंधित दिक्कतों को देखते हुए उन्हें इस बार आमंत्रण नहीं दिया गया है। यह भी बताया गया कि विदेशी राजनयिकों को मंदिर का पूरा निर्माण होने के बाद विशेष तौर पर बुलाने की बात भी कही गई है।

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