रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नगरपालिका संशोधन विधेयक पेश किया। कांग्रेस विधायकों ने संशोधन विधेयक को संविधान के खिलाफ बताते हुए संशोधन विधेयक पर चर्चा का बहिष्कार किया। इस तरह विपक्ष की अनुपस्थिति में नगरपालिका संशोधन विधेयक पारित हुआ।
सदन में उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने छत्तीसगढ़ नगरपालिका (संशोधन ) विधेयक 2024 पेश किया। संशोधन विधेयक में समय पर चुनाव नहीं होने की स्थिति में कार्यकाल बढ़ाने का जिक्र है। नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने कहा कि इस संशोधन से मजबूत नगर सरकार बनेगी।
मंत्री अरुण साव ने कहा कि महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष बेखौफ होकर निडर होकर काम कर सकेंगे, लेकिन कांग्रेस ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए चर्चा का बहिष्कार किया। कांग्रेस की अनुपस्थिति में नगर निगम संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित हुआ।
भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पारित, रजिस्ट्री में नहीं आएगी परेशानी
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने विधानसभा में गुरुवार को छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पेश किया। विचार-विमर्श के बाद इस विधेयक को विधानसभा से पारित किया गया। इस संशोधन विधेयक के मुताबिक छत्तीसगढ़ में निर्विवाद जमीन का स्वतः नामांतरण होगा। वहीं जियो रिफरेंस वाली जमीन का रजिस्ट्री के साथ नामांतरण होगा। नए प्रावधानों के मुताबिक, जमीन विवाद मामले में पक्षकार को डिजिटल मध्यम से भी नोटिस भेजा जा सकेगा. राजस्व न्यायालय में ऑनलाइन कागजात भी मंगवाए जा सकेंगे। भूमि अर्जन प्रक्रिया शुरू होने पर जमीन का डायवर्सन नहीं होगा। शासन को पत्र प्राप्त होते ही खरीदी और बंटवारा बंद होगा। इससे अधिक मुआवजा पाने के खेल पर पाबंदी लगेगी।
राजस्व मंत्री ने विधेयक की दी जानकारी
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक के संबंध में बताया कि आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में भूराजस्व संहिता विधेयक आया था, जिसमें कुछ संशोधन हुए हैं। ये संशोधन छत्तीसगढ़ राज्य के लिए और छत्तीसगढ़ में रहने वाले किसानों के लिए, भूमि स्वामियों के लिए बहुत ही लापदायक है। इसमें मेनुअल प्रक्रिया को डिजिटाइज किया गया है। जैसे न्यायालय में जो प्रकरण रहता है, वादी-प्रतिवादी को जो नोटिस हम अभी मैनुअली तामिल करते हैं, उसकी जगह ऑनलाइन या मैसेज वाट्सअप कर सकते हैं। दूसरा यह है कि न्यायालय में जो अंतरण होता है, एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में जो रिकार्ड जाते हैं, वो मैनुअल की जगह ऑनलाइन रिकार्ड वहां भेज सकते हैं, पीडीएफ बनाकर। इसके अलावा सबसे बड़ा सुधार जो हुआ है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की बड़ी-बड़ी परियोजनाएं होती हैं, वो भू-अर्जन के कारण कई जगह अटक जाती है. तो इसमें एक संशोधन लाये हैं कि धारा चार के प्रकाशन से पहले, जैसे ही केंद्र सरकार या राज्य सरकार का एक पत्र प्राप्त हो जाये कि यहां पर हम यह काम करना चाहते हैं, तत्काल उस जमीन पर खरीदी-बिक्री की रोक लग जाएगी।
मंत्री ने बताया कि ना तो उस खसरा नंबर का बढ़ांकन हो पाएगा, ना डाइवर्सन हो पाएगा, ना किसी प्रयोजन के लिए उसको दे सकते हैं। होता क्या था कि जैसे किसी को पता चलता था, लोग जो एक खसरा को कई बार काट देते थे, इसके कारण सरकार के पर भार पड़ता था, जो 20 करोड़ का मुआवजा बनता था, वो 100 करोड़ में जाता था, तो ये मुआवजे के कारण सरकार की कई परियोजनाएं नामांतरण के लिए चक्कर मारना पड़ता है, तो उसमें भी संशोधन किए हैं। इसके साथ जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण हो जाएगा। बस या है कि उस केस में न्यायालय में लंबित प्रकरण नहीं रहे, जियो रिफरेंशिंग हो, और किसी भी प्रकार का उसमें विवाद न हो, और रिकार्ड अपडेट रहे. जैसे ही रजिस्ट्री होगी, जमीन का नामांतरण स्वमेव हो जाएगा।