लोन महंगा नहीं, न ईएमआई बढ़ेगी, आरबीआई ने रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखा

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लोन महंगा नहीं, न ईएमआई बढ़ेगी, आरबीआई ने रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रखा
0 सीआरआर में कमी 0.5 प्रतिशत की कमी से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ आएंगे

मुंबई। आपके मौजूदा लोन महंगे नहीं होंगे, न ही आपकी ईएमआई बढ़ेगी, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों को 6.5% पर बरकरार रखा है। सेंट्रल बैंक ने लगातार 11वीं बार दरें नहीं बदली हैं। आखिरी बार फरवरी 2023 में ब्याज दर 0.25% बढ़ाकर 6.5% की गई थी।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में आई शिथिलता और खुदरा महंगाई में हाल की तेजी पर कड़ी नजर रखते भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को लगातार 11वीं बार नीतिगत दरों विशेषकर रेपो दर को यथावत रखने का फैसला किया, जिससे ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाये आम लोगों को निराशा हाथ लगी है। हालांकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.5 प्रतिशत कम करके 4.5 प्रतिशत से 4 प्रतिशत कर दिया है, जिससे बैंकिंग तंत्र में 1.16 लाख करोड़ रुपए नकद आ गया है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। यह मीटिंग हर दो महीने में होती है। आरबीआई ने महंगाई बढ़ने की आशंका भी जताई है, जिससे इकोनॉमिक ग्रोथ पर निगेटिव असर पड़ सकता है। इसीलिए अगले फाइनेंशियल ईयर में जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया गया है।

मई 2022 से 250 आधार अंकों तक लगातार छह बार की वृद्धि के बाद पिछले वर्ष अप्रैल में दर वृद्धि चक्र को रोक दिया गया और यह अभी भी इसी स्तर पर है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष की पांचवी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि एमपीसी ने मौद्रिक नीति को यथावत बनाए रखने का फैसला किया है। समिति के छह में से चार सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है। इसके मद्देनजर रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख नीतिगत दरें यथावत हैं और मौद्रिक नीति के रूख को न्यूट्रल रखने का निर्णय लिया गया है।
समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है जबकि नकद आरक्षित अनुपात को 4.5 प्रतिशत से कम कर 4.0 प्रतिशत कर दिया गया है इससे बैंकिंग तंत्र में 1.16 लाख करोड़ रुपये आ गये हैं।
उन्होंने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से कम कर 6.6 प्रतिशत किया गया है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही 6.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है।। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 6.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
श्री दास ने कहा “ एमपीसी ने नोट किया कि अक्टूबर नीति के बाद से भारत में निकट अवधि की मुद्रास्फीति और विकास परिणाम कुछ हद तक प्रतिकूल हो गए हैं। हालांकि, आगे चलकर, रिजर्व बैंक के सर्वेक्षणों में परिलक्षित व्यापार और उपभोक्ता भावनाओं में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक गतिविधि में सुधार होने की संभावना है। मुद्रास्फीति में हाल ही में हुई वृद्धि मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण और अपेक्षाओं पर कई और अतिव्यापी झटकों के निरंतर जोखिमों को उजागर करती है। भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और वित्तीय बाजार में अस्थिरता ने मुद्रास्फीति के लिए और अधिक जोखिम बढ़ा दिया है। उच्च मुद्रास्फीति ग्रामीण और शहरी दोनों उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम करती है और निजी खपत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। एमपीसी ने जोर दिया कि उच्च विकास के लिए मजबूत नींव केवल टिकाऊ मूल्य स्थिरता के साथ ही सुरक्षित की जा सकती है। एमपीसी अर्थव्यवस्था के समग्र हित में मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। तदनुसार, एमपीसी ने इस बैठक में नीति रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को जारी रखने का भी निर्णय लिया क्योंकि यह अवस्फीति और विकास पर प्रगति और दृष्टिकोण की निगरानी करने और उचित रूप से कार्य करने के लिए लचीलापन प्रदान करता है। एमपीसी स्पष्ट रूप से लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण पर केंद्रित है, जबकि विकास का समर्थन करता है।”
श्री दास ने कहा कि वर्तमान और विकसित हो रही व्यापक आर्थिक स्थिति का आकलन करने के बाद एमपीसी ने तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत नीति रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। इसके
परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। एमपीसी ने तटस्थ मौद्रिक नीति रुख को जारी रखने और विकास का समर्थन करते हुए लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने का भी निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि ये निर्णय विकास का समर्थन करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति ऊपरी सहनशीलता स्तर से ऊपर बढ़कर अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 5.5 प्रतिशत और जुलाई-अगस्त में 4.0 प्रतिशत से कम थी, जो खाद्य मुद्रास्फीति में तेज उछाल और कोर (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति में तेजी से प्रेरित थी। रबी उत्पादन के लिए अच्छे संकेतों का उल्लेख करते हुये कहा कि हालांकि, प्रतिकूल मौसम की घटनाएं और अंतरराष्ट्रीय कृषि वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि खाद्य मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा करती है। भले ही हाल के दिनों में ऊर्जा की कीमतों में नरमी आई है, लेकिन इसके बने रहने पर नज़र रखने की ज़रूरत है। व्यवसायों को उम्मीद है कि इनपुट लागतों से दबाव ऊंचा बना रहेगा और बिक्री मूल्यों में वृद्धि चाैथी तिमाही से तेज़ होगी। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत और चाैथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 4.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है । जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष सहित चार सदस्यों सौगत भट्टाचार्य, डॉ. राजीव रंजन और डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि डॉ. नागेश कुमार और प्रोफेसर राम सिंह ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए मतदान किया।
उन्होंने बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से तटस्थ रुख को जारी रखने और विकास का समर्थन करते हुए लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए मतदान किया।

 

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