भारत का संप्रभुता, प्रादेशिक अखंडता के सम्मान, आतंकवाद पर कार्रवाई पर बल

0
32

अस्ताना (कज़ाखस्तान)। भारत ने चीन, पाकिस्तान और रुस जैसे 12 से अधिक देशों के शीर्ष नेताओं की गुरुवार को यहां आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में एक से अधिक देशों से जुड़ी सम्पर्क-सुविधा और अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं में देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का ध्यान रखने पर बल दिया और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का भी आह्वान किया।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश पढ़ा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी घरेलू व्यस्तताओं के कारण एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने अस्ताना नहीं आ सके। विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

श्री मोदी ने अपने भाषण में वर्ष 2017 में एससीओ में भारत की सदस्यता हासिल करने के मौके को याद किया, उस समय भी कज़ाखस्तान की अध्यक्षता में भारत को यह उपलब्धि हासिल हुई थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से, हमने एससीओ में अध्यक्षता का एक पूरा चक्र पूरा कर लिया है। भारत ने 2020 में शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक के साथ-साथ 2023 में राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की बैठक की मेजबानी की। एससीओ हमारी विदेश नीति में एक प्रमुख स्थान रखता है।
प्रधानमंत्री ने एससीओ के सदस्य ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनके एवं अन्य लोगों के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की और नये सदस्य के रूप में बैठक में शामिल होने के लिए बेलारूस का स्वागत किया और वहां के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेडर लुकाशेंको को बधाई दी।
बैठक में प्रधानमंत्री का वक्तव्य चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना और जम्मू-कश्मीर में सीमापार से आंतकवाद पर भारत के कड़े रुख को देखते हुए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। श्री मोदी ने सीमा पर से संचालित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई किए जाने, आतंकवाद के वित्त पोषण पर रोक तथा युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि “आतंकवाद का मुकाबला करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो एससीओ के मूल लक्ष्यों में से एक है।”
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए और उन्हें बेनकाब करना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं, उन्हें सुरक्षित पनाह देते हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद का निर्णायक जवाब देने की आवश्यकता है और आतंकवाद के वित्तपोषण और भर्ती का दृढ़ता से मुकाबला किया जाना चाहिए। हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने इसमें एससीओ के नेताओं से अंतराष्ट्रीय व्यापार और पारगमन व्यवस्था पारदर्शिता और गैर भेदभाव से मुक्त रखे जाने का भी आह्वान किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और डिजिटल प्रौद्योगिकी से जुड़े मुद्दों को भी उठाया।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए मजबूत कनेक्टिविटी (संपर्क सुविधाओं) की आवश्यकता होती है। इससे हमारे समाजों के बीच सहयोग और विश्वास का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है। कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि “गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार अधिकार और पारगमन व्यवस्थाएं भी आवश्यक हैं। एससीओ को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ एक सिद्धांत-आधारित और सर्वसम्मति से चलने वाला संगठन है। यह सर्वसम्मति सदस्य देशों के दृष्टिकोणों से तय होती है। उन्होंने कहा, ‘यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हम अपनी विदेश नीतियों के आधार के रूप में संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता, समानता, पारस्परिक लाभ, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, बल का प्रयोग न करने या बल प्रयोग की धमकी के लिए आपसी सम्मान को दोहरा रहे हैं। हम देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों के विपरीत कोई भी कदम नहीं उठाने पर भी सहमत हुए हैं।”
श्री मोदी ने कहा कि आज हमारे सामने एक और प्रमुख चिंता जलवायु परिवर्तन की है। हम वैकल्पिक ईंधन में बदलाव, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित उत्सर्जन में प्रतिबद्ध कमी लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने भारत की अध्यक्षता में एससीओ की पिछली बैठक में नए उभरते ईंधन पर एक संयुक्त वक्तव्य और परिवहन क्षेत्र में डी-कार्बोनाइजेशन पर एक अवधारणा पत्र को मंजूरी दिए जाने का भी जिक्र किया।
श्री मोदी ने कहा कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि महामारी के प्रभाव बने हुए हैं, जगह जगह संघर्ष हो रहे हैं तथा देशो में विश्वास की कमी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक आर्थिक विकास पर दबाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य इन घटनाक्रमों के परिणामों को कम करने के लिए आम जमीन तलाशना है।
श्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी की सदी है। हमें प्रौद्योगिकी को रचनात्मक बनाना होगा । भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय रणनीति तैयार करने और एआई मिशन शुरू करने वाले देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत एससीआई के क्षेत्र के लोगों के साथ गहरे सभ्यतागत संबंध साझा करता है। एससीओ के लिए मध्य एशिया की केंद्रीयता को पहचानते हुए, हमने उनके हितों और आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी है। भारत ने 2023 में अपनी अध्यक्षता के दौरान एससीओ बाजरा खाद्य महोत्सव, एससीओ फिल्म महोत्सव, एससीओ सूरजकुंड शिल्प मेला, एससीओ थिंक-टैंक सम्मेलन और साझा बौद्ध विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। एससीओ सचिवालय के नई दिल्ली हॉल में पिछले महीने 10वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आयोजित किया गया।
श्री मोदी ने कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि एससीओ हमें लोगों को एकजुट करने, सहयोग करने, बढ़ने और एक साथ समृद्ध होने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है, जो वसुधैव कुटुम्बकम के सहस्राब्दी पुराने सिद्धांत का पालन करता है जिसका अर्थ है ‘दुनिया एक परिवार है’। हमें इन भावनाओं को लगातार व्यावहारिक सहयोग में बदलना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here