फोन टैपिंग केसः एसीबी ने कोर्ट में पेश की क्लोजर रिपोर्ट

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0 कहा-जो आरोप है, वो अपराध नहीं हुआ
0 आईपीएस रजनेश सिंह व मुकेश गुप्ता को मिली राहत

रायपुर। बहुचर्चित नान घोटाले में छत्तीसगढ़ कैडर के रिटायर्ड आईपीएस मुकेश गुप्ता और बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को बड़ी राहत मिली है। एसीबी ने सीजेएम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें कहा गया है कि दोनों अफसरों पर जो आरोप लगाए गए, वो अपराध हुआ ही नहीं। हालांकि इस पर अभी कोर्ट का फैसला बाकी है।

दरअसल, मुकेश गुप्ता के एसीबी प्रमुख और रजनेश सिंह के एजेंसी में एसपी रहने के दौरान आरोप लगे हैं कि उन्होंने नान घोटाला मामले में कई लोगों के फोन टैप कराए। इसके बाद इन फोन टैपिंग का इस्तेमाल नान घोटाला मामले में कार्रवाई करने के लिए किया।

क्लोजर रिपोर्ट में कहा-कानून के मुताबिक कार्रवाई
जानकारी के मुताबिक, एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट में बिना अनुमति फोन टैपिंग के आरोप को गलत बताया है। जो भी फोन इंटरसेप्ट किया गया है, वह कानून और नियमों के मुताबिक ही किया गया। इसके अलावा यह भी कहा गया है दोनों अफसरों पर दबाव बनाकर बयान दर्ज करवाए गए।

कांग्रेस सरकार ने दर्ज कराई थी एफआईआर
2018 के विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई। 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके कुछ दिनों बाद नान घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया। इस दौरान सामने आया कि नान घोटाले की जांच के दौरान एसीबी मुखिया मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह ने फर्जी दस्तावेज बनाए। अवैध रूप से अफसरों-नेताओं के फोन टेप किए गए।
इस आरोप के आधार पर सरकार ने मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक एसआईटी के खिलाफ कोर्ट गए और स्टे ले आए। मुकेश गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से कार्रवाई पर स्टे लगवाने में कामयाब हो गए।

3 साल सस्पेंड रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता
रिटायर्ड आईपीएस मुकेश गुप्ता 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के अफसर हैं। नान घोटाला मामले में कथित संलिप्तता को लेकर प्रदेश सरकार ने उन्हें 9 फरवरी 2019 को निलंबित कर दिया था। उसके बाद उन पर एफआईआर भी दर्ज की गई। वो डीजी के पद पर प्रमोट हो चुके थे। सरकार ने वापस एडीजी रैंक पर रिवर्ट कर दिया था। इस मामले में मुकेश गुप्ता को कैट से राहत मिलने के बाद राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश गुप्ता के सस्पेंशन को वापस ले लिया। वो 30 सितंबर 2022 को रिटायर होने वाले थे उसके ठीक 14 दिन पहले उनका सस्पेंशन खत्म कर दिया गया था।

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