डाबर के हेयर रिलैक्सर प्रोडक्ट्स से कैंसर होने का आरोप, कंपनी का शेयर 1.22% गिरा

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0 अमेरिकी फेडरल कोर्ट में 5,400 मामले दर्ज
वॉशिंगटन। डाबर इंडिया की 3 सहायक कंपनियों नमस्ते लेबोरेटरीज LLC, डर्मोविवा स्किन एसेंशियल्स इंक और डाबर इंटरनेशनल के खिलाफ अमेरिकी फेडरल कोर्ट में 5,400 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। डाबर पर आरोप है कि इनके हेयर रिलैक्सर प्रोडक्ट्स से कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं।

इसे लेकर डाबर इंडिया ने कहा कि अमेरिकी फेडरल कोर्ट में केस अभी शुरुआती चरण में हैं और अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। कंपनी ने कहा कि उसके खिलाफ सभी आरोप अप्रमाणित हैं, जो एक बेबुनियाद और अधूरी स्टडी के आधार पर लगाए गए हैं।

हेयर, हेल्थ और स्किन केयर प्रोडक्ट बनाती है डाबर
नमस्ते लेबोरेटरीज हेयर और स्किन केयर प्रोडक्ट बनाती है। ब्रांड ने ORS™ हेयरकेयर के तहत रिलैक्सर्स, ऑयल, शैंपू, हेयर क्रीम जैसे प्रोडक्ट अमेरिकी बाजारों में बेचे जाते हैं। डाबर ने साल 2010 में इस कंपनी का अधिग्रहण किया था।
डर्मोविवा स्किन एसेंशियल्स खुद को हर्बल एक्सपर्ट बताती है। इसके हेयर रिलेटेड प्रोडक्ट में डैंड्रफ गार्ड, हेयर फॉल कंट्रोल, नाइट रिपेयर, वॉल्यूम एंड थिकनेस जैसे प्रोडक्ट आते हैं। इसके अलावा कई और प्रोडक्ट डर्मोविवा बनाती है।
डाबर इंटरनेशनल डाबर इंडिया की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और इसका मुख्यालय दुबई में है। डाबर 130 साल से ज्यादा पुरानी कंपनी है। 1884 में इसकी शुरुआत कोलकाता से हुई थी। डाबर आमला हेयर ऑयल और वाटिका शैंपू जैसे प्रोडक्ट बनाती है।

डाबर पर आरोपों के बाद कंपनी के शेयर में गिरावट दर्ज
ये मामला सामने आने के बाद डाबर के शेयर बाजार में गुरुवार को 1.22% की गिरावट देखने को मिली है। इसके चलते से 6.50 रुपए फिसलकर 527.50 रुपए पर बंद हुआ।

डाबर के शहद को लेकर भी सामने आया था मामला
इससे पहले इसी साल डाबर इंडिया के शहद में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल्स की मौजूदगी का दावा किया गया था। कहा जा रहा था कि डाबर के शहद में कार्सिनोजेनिक मैटेरियल लिमिट से ज्यादा है। इसपर, कंपनी ने कहा था कि उनके प्रोडक्ट FSSAI स्टैंडर्ड के मुताबिक बनते हैं।

जॉनसन एंड जॉनसन टैल्क पर भी लगे थे कैंसर के खतरे के आरोप
इससे पहले भारत में भी जॉनसन एंड जॉनसन के टैल्क से कैंसर के खतरे के आरोप लगे थे। इसके बाद जॉनसन के बेबी पाउडर मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को महाराष्ट्र सरकार ने कैंसिल कर दिया था। इस फैसले को कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद इसे फिर से मैन्युफैक्चरिंग कर इजाजत मिल गई थी। मामले के अनुसार दिसंबर 2018 में एक औचक निरीक्षण के दौरान FDA ने क्वालिटी चेक के लिए पुणे और नासिक से J&J के टैल्क-आधारित बेबी पाउडर के सैंपल लिए थे। इनमें मुलुंड प्लांट में बने सैंपल को ‘स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं’ माना गया था। 2019 में आए टेस्ट के रिजल्ट में कहा गया था कि ‘सैंपल IS 5339: 2004 (सेकेंड रिवीजन अमेंडमेंट नंबर 3) टेस्ट pH में शिशुओं के लिए त्वचा पाउडर के स्पेसिफिकेशन का अनुपालन नहीं करता है।’ बाद में, कंपनी को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत कारण बताओ नोटिस दिया गया था।

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