जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए ऊर्जा-कुशलता जरूरी: मुर्मु

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों को देखते हुए ऊर्जा-कुशल समाधानों को अपनाने की जरूरत है। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के सहायक कार्यकारी इंजीनियरों (2022 और 2023 बैच) के एक समूह ने गुरूवार को यहां राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने इंजीनियरों को संबोधित करते हुए कहा कि युवा इंजीनियरों के रूप में वे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भली भांति अवगत हैं, इसलिए ऊर्जा-कुशल समाधानों को अपनाने की आवश्यकता है। उनके द्वारा बनाए जाने वाले भवन, सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे टिकाऊ, ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण-अनुकूल होने चाहिए। उन्हें अपने दृष्टिकोण में नवाचारी होना चाहिए ताकि वे उभरती चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें। उन्होंने कहा कि 3 डी प्रिंटिंग के युग में भवन निर्माण प्रौद्योगिकी में व्यापक रूप से बदलाव आया है। अब बुनियादी ढांचे और निर्माण परियोजनाओं को जलवायु-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल बनाया जा सकता है। हरित निर्माण समय की जरूरत है। निर्माण की नवाचारी विधियों में इस क्षेत्र को बदलने की क्षमता है। उन्हें न केवल निर्माण प्रक्रिया में तेजी लानी है बल्कि अधिकतम संसाधन उपयोग के माध्यम से अपशिष्ट के कम से कम सृजन को भी सुनिश्चित करना है।

श्रीमती मुर्मु ने युवा इंजीनियरों को सलाह दी कि वे सीमित दायरे में ही काम न करें बल्कि सहयोगात्मक, दूरदर्शी और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण भी अपनाएं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोट और ड्रोन जैसी नई एवं उभरती हुई प्रौद्योगिकियां पारंपरिक सोच को बाधित कर रही हैं। हालांकि, इनका उपयोग दक्षता क्षमता को बढ़ाने और उसमें सुधार करने, प्रक्रियाओं के स्वचालन और अनुकूलन में, उत्पादकता बढ़ाने तथा संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाने में किया जा सकता है। उन्होंने इंजीनियरों से उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और एक बेहतर, हरित तथा अधिक टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने में सार्थक योगदान देने का आग्रह भी किया।

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