जम्मू-कश्मीर के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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0 सुप्रीम कोर्ट बोला- इस फैसले का 370 से लेना-देना नहीं, वो मामला संविधान पीठ में है

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा-लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। मामला जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की बेंच में था।

बेंच ने यह भी कहा कि परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने का ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि हमने आर्टिकल-370 से जुड़ी याचिकाओं पर भी फैसला दिया है। वो मुद्दा कांस्टीट्यूशनल बेंच में चल रहा है।

याचिकाकर्ता का दावा- 2026 तक इस पर रोक है
याचिका करने वाले श्रीनगर के हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टो ने पुनर्निधारण या परिसीमन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इनका दावा है कि 2026 से पहले इस तरह के किसी भी कदम पर रोक है। सरकार के पास परिसीमन अधिनियम की धारा 3 के तहत परिसीमन आयोग बनाने का पावर नहीं था, क्योंकि केवल चुनाव आयोग ही संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश 2008 की अधिसूचना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया को अंजाम दे सकता था।

परिसीमन पर बवाल क्यों
आर्टिकल 370 हटाए जाने से पहले जम्मू और कश्मीर की लोकसभा सीटों का परिसीमन केंद्र करता था। विधानसभा सीटों का परिसीमन राज्य सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट, 1957 के तहत होता था। 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा और लोकसभा दोनों सीटों का परिसीमन का अधिकार केंद्र के पास चला गया है।
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में तब हुआ था, जब वहां राष्ट्रपति शासन लागू था। तब वहां विधानसभा की सीटें 76 से बढ़ाकर 87 की गई थीं, जिनमें जम्मू की सीटें 32 से बढ़ाकर 37 और कश्मीर की सीटें 42 से बढ़ाकर 46 की गई थीं। 2002 में जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने राज्य के परिसीमन को 2026 तक के लिए टालने का प्रस्ताव पारित किया था।

मई 2021 में बने थे 90 विधानसभा वार्ड और 5 लोकसभा क्षेत्र
पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मिला कर विधानसभा की कुल 87 सीटें थीं। इसमें 4 सीटें लद्दाख की शामिल थी, लेकिन लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 83 सीटें रह गई थीं। परिसीमन के बाद 7 सीटें बढ़ी हैं। इसके बाद कुल सीटों की संख्या 90 हो गई है। इसमें जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा क्षेत्र बनाए गए हैं। 9 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए व 2 सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए रिजर्व की गई हैं।

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