छत्तीसगढ़ में एक साथ हो सकते हैं पंचायत व निकाय चुनाव

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0 पंचायत और निकाय चुनावों के लिए बनी कमेटी
0 मंत्री साव बोले-वन नेशन-वन इलेक्शन की ओर सोच रहे
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव एक साथ हो सकते हैं। सरकार की ओर से मंत्री अरुण साव ने कहा कि एक समिति बनाई गई है। यह समिति सभी पक्षों पर स्टडी करेगी। इसके बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर सरकार दोनों चुनाव एक साथ करवाने पर फैसला लेगी।

नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार भी इस दिशा में सोच रही है। समिति इस बात पर न केवल लोगों की राय लेगी, बल्कि कानूनी जो प्रावधान है उसे भी समझेगी।

साव ने कहा कि दोनों तरह के निकायों के चुनाव के संचालन के लिए अलग-अलग नियम बने हुए हैं। हम उन सब पर विचार करके एक संभावना कैसे बन सकती है ये देख रहे हैं। अभी नगरीय व पंचायत चुनाव के लिए तीन कानून म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट 1956, म्यूनिसिपल पार्टी एक्ट 1961 व पंचायत राज अधिनियम 1993 हैं।

महापौर-पार्षद चुनाव नियम बदलने की तैयारी
कांग्रेस सरकार ने महापौर के डायरेक्ट इलेक्शन के नियम को बदल दिया था। तय हुआ था कि पार्षद ही महापौर को चुनेंगे, जबकि इससे पहले आम लोग महापौर पद के लिए भी वोटिंग करते थे। अब भाजपा की सरकार पुराने नियम को वापस ला सकती है। इसे लेकर भी काम जारी है। मंत्री अरुण साव ने कहा है कि जरुरत पड़ी तो ऐसा किया जा सकता है।

पिछले बार कब हुए थे चुनाव?
नगरीय निकायः छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव साल 2019 के अंत में हुए थे। 21 दिसंबर को 151 निकायों के लिए वोटिंग हुई थी जबकि 24 दिसंबर को नतीजे आए थे। इसमें 10 नगर निगम, 38 नगर पालिका,103 नगर पंचायत के लिए चुनाव हुआ था। हालांकि, इनमें भिलाई-चरोदा, भिलाई, रिसाली और बीरगांव नगर निगम समेत 15 निकाय शामिल नहीं हैं। इन निगम के चुनाव 20 दिसंबर 2021 को हुए थे और रिजल्ट 23 दिसंबर 2021 को आए थे।

पंचायत चुनावः प्रदेश में इससे पहले 2020 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तीन चरण में हुए थे। इसमें 28 जनवरी, 31 जनवरी और 3 फरवरी को मतदान हुए थे। जबकि 30 जनवरी से 6 चरणों में नतीजे आए थे। इसमें पंच-सरपंच के लिए 30 जनवरी, 2 फरवरी और 5 फरवरी को रिजल्ट आया।
वहीं जिला पंचायत के लिए 31 जनवरी, 3 फरवरी और 6 फरवरी को नतीजे आए थे। इसके लिए 30 दिसंबर 2019 से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। उस समय जमानत राशि को भी चार गुना बढ़ाया गया था।

भ्रम पैदा करती है कांग्रेस
वक्फ संशोधन बिल का कांग्रेस विरोध कर रही है। इसे लेकर भी अरुण साव ने कहा कि, जिस कांग्रेस पार्टी ने बार-बार संविधान का उल्लंघन किया है, संविधान को तोड़ा मरोड़ा है वो संविधान की बातें करती है। देश में आपात काल लगाकर इन्होंने बताया कि ये किस विचारधारा के हैं। ऐसे कई अवसर आए हैं जब कांग्रेस पार्टी ने संविधान का उल्लंघन किया है। यह जो वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का विषय आया है। यह आज के समय की आवश्यकता है। कांग्रेस पार्टी हर मामले में राजनीति करने का काम करती है। राष्ट्रहित, देशहित की चिंता नहीं करती। वोट बैंक की राजनीति करना, भ्रम पैदा करने की राजनीति करना कांग्रेस का काम है।

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