चुनाव आयोग ने दिलीप घोष, सुप्रिया श्रीनेत के बयानों को आपत्तिजनक पाया, उनकी निंदा की

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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और हिमाचल प्रदेश में मंडी लोक सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी कंगना रणौत के विरुद्ध क्रमश: भाजपा नेता दिलीप घोष और कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत के बयानों को आपत्तिजनक, आयोग के निर्देशों और महिलाओं की गरिमा के प्रतिकूल करार देते हुए उनकी निंदा की है और उन्हें चेतावनी दी है।
आयोग को श्री घोष और सुश्री श्रीनेत के खिलाफ शिकायतें मिली थीं।
आयोग ने सोमवार को जारी अलग-अलग आदेश में श्री घोष और सुश्री श्रीनेत को सख्त अंदाज में आगाह किया है कि वे ‘आदर्श आचार संहिता की अवधि में सार्वजनिक वक्तव्य देते समय सावधानी बरतें।’ आयोग की ओर से जारी दोनों आदेशों में कहा गया है कि आयोग विवादास्पद बयानों की कड़ी निंदा करता है। आयोग ने आदेश में दोनों नेताओं की भर्त्सना की है।
आयोग ने अपने आदेश की प्रतियां भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजकर उन्हें आयोग की ओर से एक मार्च को जारी सलाह का ध्यान दिलाते हुए अपने-अपने दलों के कार्यकर्ताओं को प्रचार या किसी सार्वजनिक वार्तालाप में महिलाओं के सम्मान और मार्यदा के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं करने की सलाह देने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि आयोग को तृणमूल कांग्रेस की ओर से 26 मार्च को एक शिकायत मिली थी कि श्री घोष ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुश्री बनर्जी के विरुद्ध कहा था कि ‘दीदी जब गोवा में जाती हैं, तो गोवा कि बेटी बन जाती हैं और त्रिपुरा में कहती हैं कि वे त्रिपुरा की बेटी हैं। यह ठीक नहीं हैं। तय करो कि आपका पिता कौन हैं।’ उन्होंने यह टिप्पणी बंगला में की थीं।
इसी तरह भाजपा ने सुश्री रणौत के बारे में टिप्पणी को लेकर सुश्री श्रीनेत के खिलाफ 26 मार्च को ही चुनाव आयोग से शिकायत की थी। भाजपा ने सुश्री श्रीनेत के 25 मार्च के सोशल मीडिया पर एक पोस्ट का उल्लेख किया था, जिसमें उन्होंने सुश्री रणौत की उम्मीदवारी पर टिप्पणी की थी। क्या भाव चल रहा है मंडी में कोई बताएंगे? इसके साथ उन्होंने सुश्री रणौत की तस्वीर भी पोस्ट की थी।
आयोग ने दोनों ही शिकायतों पर श्री घोष और सुश्री श्रीनेत को 27 मार्च को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनसे 29 मार्च तक जवाब मांगा था।
आयोग ने सोमवार के आदेशों में कहा है कि उसने दोनों नेताओं के जवाब पर गौर करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उनके बयान आपत्तिजनक और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ हैं और आदर्श आचार संहिता और राजनीतिक दलों के लिए आयोग की ओर से एक मार्च को जारी निर्देशों के विरुद्ध हैं।

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