गर्भगृह में विराजने वाली रामलला की प्रतिमा फाइनल, 51 इंच की खड़ी प्रतिमा होगी

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0 कर्नाटक के नीले पत्थर से की गई है तैयार
अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमा का चयन रविवार को कर लिया गया। शुक्रवार को हुई बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने 3 प्रतिमाओं पर अपना मत लिखित रूप से महासचिव चंपत राय को दे दिया था।

चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला 5 साल के बाल स्वरूप में होंगे। प्रतिमा में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। प्रतिमा ऐसी है जो राजा का पुत्र लगे और विष्णु का अवतार लगे। गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी।

नीले पत्थर की प्रतिमा का चयन
सूत्रों की मानें तो नीले पत्थर से रामलला की प्रतिमा तैयार की गई है। मूर्तिकार योगीराज की बनाई प्रतिमा का चयन किया गया है। बताया जा रहा है कि रामलला की तीन प्रतिमाओं का निर्माण 3 मूर्तिकारों गणेश भट्ट, योगीराज और सत्यनारायण पांडेय ने तीन पत्थरों से किया है। इसमें सत्यनारायण पांडेय की प्रतिमा श्वेत संगमरमर की है। जबकि शेष दोनों प्रतिमाएं कर्नाटक के नीले पत्थर की हैं। इसमें गणेश भट्ट की प्रतिमा दक्षिण भारत की शैली में बनी थी। इस कारण अरुण योगीराज की प्रतिमा का चयन किया गया है।

मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं योगीराज
रामलला की प्रतिमा तैयार करने वाले 37 साल के अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया, फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिमाएं बनानी शुरू की। हालांकि प्रतिमाएं बनाने की तरफ उनका झुकाव बचपन से था। पीएम मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं। योगीराज ने ही जगद्गुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया था। उन्होंने ने ही शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई थी, जिसे केदारनाथ में स्थापित किया गया है।

29 दिसंबर को प्रतिमा चयन को लेकर अपना मत सौंपा था
अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक में प्रतिमा के चयन को लेकर ट्रस्ट के लोगों ने चंपत राय और महंत नृत्य गोपाल दास को अंतिम अधिकार देकर अपना मत उन्हें सौंप दिया था। चयन से पहले ट्रस्ट के लोगों ने रामलला की तीनों प्रतिमाओं को करीब से देखा था। मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई प्रतिमा के साथ ही पुरानी प्रतिमा को भी प्रतिष्ठित किया जाएगा। जानकारी के अनुसार नई प्रतिमा को अचल प्रतिमा कहा जाएगा, जबकि पुरानी प्रतिमा उत्सव प्रतिमा या चल प्रतिमा के तौर पर जानी जाएगी। साथ ही कहा जा रहा है कि बाद में उत्सव प्रतिमा को श्रीराम से जुड़े सभी उत्सवों में विराजमान किया जाएगा। वहीं नई प्रतिमा गर्भ गृह में भक्तों के दर्शन के लिए विराजमान रहेगी।

31 साल बाद बदलेंगे रामलला के दर्शन के नियम, नंगे पैर कर सकेंगे दर्शन
प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन (23 जनवरी) से रामलला के दर्शन का 31 साल पुराना यानी 1992 के बाद से चला आ रहा नियम भी बदल जाएगा। भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए नंगे पांव जा सकेंगे। दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को जब रामलला टेंट में विराजमान हुए थे, तब से भक्त जूते-चप्पल पहनकर रामलला के दूर से दर्शन करते थे। भक्त एक गेट से अंदर आते थे और चलते हुए दूसरे गेट से निकल जाते थे। यह निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया गया था। यही नहीं, तब मंदिर में जूते-चप्पल रखवाने के अलग इंतजाम भी नहीं थे। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर परिसर में पब्लिक फैसिलिटी सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। यह अंतिम दौर में है। यहां दर्शनार्थियों के सामान की जांच के साथ उसे रखने का प्रबंध किया गया है। यहां जूते-चप्पल रखने के भी इंतजाम हैं। इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को प्रभार सौंपा जाएगा।

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