0 प्रोटीन का स्ट्रक्चर समझाने वाला एआई मॉडल बनाया
0 190 देशों में हो रहा इस्तेमाल
स्टॉकहोम। केमिस्ट्री के नोबेल प्राइज 2024 की घोषणा हो गई है। इस साल ये प्राइज 3 वैज्ञानिकों को मिला है। इनमें अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड बेकर, जॉन जम्पर और ब्रिटिश वैज्ञानिक डेमिस हसाबिस शामिल हैं। प्राइज को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा डेविड बेकर को मिला है, जिन्होंने नई तरह के प्रोटीन का निर्माण किया।
प्रोटीन डिजाइन एक तकनीक है जिसमें प्रोटीन की संरचना में बदलाव कर नए गुण वाले प्रोटीन तैयार किए जाते हैं। इससे दवा और वैक्सीन बनाने में मदद मिलती है। वहीं प्राइज का दूसरा हिस्सा डेमिस और जॉन जम्पर को मिला, जिन्होंने एक ऐसा एआई मॉडल बनाया, जिसने कॉम्प्लेक्स प्रोटीन के स्ट्रक्चर को समझने में मदद की।
दवा-वैक्सीन में इस्तेमाल हो रहा नया प्रोटीन
प्रोटीन मनुष्य के शरीर के लिए केमिकल टूल की तरह काम करता है। यह शरीर में होने वाले सभी केमिकल रिएक्शन्स को कंट्रोल करता है जो मानव जीवन का आधार होते हैं। प्रोटीन करीब 20 अलग-अलग अमीनो ऐसिड से बना होता है। 2003 में डेविड बेकर ने इन अमीनो एसिड का इस्तेमाल कर एक नए तरह का प्रोटीन बनाया। इसका इस्तेमाल कई वैक्सीन और दवाइयों में किया जाता है।
एआई मॉडल अल्फाफोल्ड से एंटीबायोटिक्स को समझने में मदद मिली
दूसरी खोज में प्रोटीन स्ट्रक्चर को समझने के लिए एआई मॉडल बनाया गया। दरअसल, प्रोटीन में अमीनो एसिड लंबे तारों में एक साथ जुड़े होते हैं जो एक 3डी स्ट्रक्चर बनाते हैं। 1970 के दशक से वैज्ञानिक अमीनो एसिड के आधार पर प्रोटीन का स्ट्रक्चर समझने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। साल 2020 में डेमिस हसाबिस और जॉन जम्पर ने एक एआई मॉडल अल्फाफोल्ड 2 बनाया। इसकी मदद से वैज्ञानिक सभी 20 करोड़ प्रोटीन के स्ट्रक्चर को वर्चुअली समझ पाए। आज अल्फाफोल्ड मॉडल का इस्तेमाल 190 देशों के करीब 20 लाख लोग करते हैं। प्रोटीन स्ट्रक्चर समझने से वैज्ञानिकों को एंटीबायोटिक को बेहतर जानने और प्लास्टिक को तोड़ने वाले एंजाइम्स बनाने में मदद मिली।