इंडियन नेवी की वागीर सबमरीन की समुद्र में टेस्टिंग

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0 पानी के अंदर माइंस बिछाने में सक्षम
0 ये पनडुब्बी रडार की पकड़ में नहीं आती

मुंबई। इंडियन नेवी की वागीर सबमरीन ने 18 मई को समुद्र में टेस्ट शुरू कर दिया। ये सबमरीन एंटी शिप मिसाइल और टारपीडो से लैस है। इसकी खासियत है कि यह दुश्मन के रडार में पकड़ में नहीं आती। समुद्र में कई राउंड की टेस्टिंग के बाद अगले साल यह भारतीय नेवी के लड़ाकू बेड़े में शामिल हो जाएगी।

वागीर सबमरीन को 20 अप्रैल 2022 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन से लॉन्च किया गया था। यह प्रोजेक्ट 75 के तहत बनने वाली छठी पनडुब्बी है। पहली सबमरीन को दिसंबर 1974 में इंडियन नेवी में कमीशन किया गया था और अप्रैल 1997 में उसे रिटायर कर दिया गया।

इसके बाद दूसरी सबमरीन आईएनएस कलवरी को इंडियन नेवी में दिसंबर 2017 में शामिल किया गया था। तीसरी सबमरीन आईएनएस खंडेरी को सितंबर 2019 में, चौथी सबमरीन आईएनएस करंज को मार्च 2021 में और पांचवीं आईएनएस वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था।

सबमरीन में 40 क्रू एक साथ कर सकते काम
वागीर सबमरीन में लगभग 40 क्रू एक साथ काम कर सकते हैं। इसमें करीब 9-10 ऑफिसर होते हैं। सबमरीन में खाली स्पेस कम होता है। इस वजह से अतिरिक्त सावधानी रखनी होती है। तीन-तीन घंटे की ड्यूटी के बाद जवान 6 घंटे का ब्रेक लेते हैं।

साइलेंट किलर है वागीर
वागीर का नाम सैंड फिश की एक प्रजाति पर रखा गया है, जो इंडियन ओशन की एक घातक समुद्री शिकारी है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। इसने दूसरी पनडुब्बियों के मुकाबले सबसे कम समय में हथियार और सेंसर के प्रमुख ट्रायल्स पूरे कर लिए।

वागीर की खासियत
यह सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर दोनों जगह काम कर सकती है। इसके अलावा खुफिया जानकारी जुटाना, माइंस बिछाने और एरिया सर्विलांस का काम भी ये पनडुब्बी बखूबी निभा सकती है। वागीर 221 फीट लंबी है और 21 मीटर ऊंची है। पनडुब्बी पानी के ऊपर 20 किलोमीटर प्रति घंटे और पानी के अंदर 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की क्षमता है।

 

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